PPF: सबसे अधिक ब्याज दर, सुरक्षा की गारंटी, टैक्स में छूट के अलावा भी और भी बहुत कुछ है इस पब्लिक प्रोविडेंट फंड में जो आप नहीं जानते।

Public Provident Fund (PPF):- पीपीएफ भारत सरकार द्वारा घोषित लम्बी अवधि के लिए एक सेविंग स्कीम है। पीपीएफ हमेशा से ही छोटे और मध्यम वर्ग के निवेशकों के बीच लोकप्रिय रहा है।  

 

आज भी जहाँ निवेश के दर्जनों विकल्प उपलब्ध है, पीपीएफ की चमक पहले जैसी ही बरकरार है।  इसकी मुख्य वजह है इस पर मिलने वाला फिक्स्ड ब्याज दर, सुरक्षा की गारंटी और टैक्स में छूट। 

 

सुकन्या समृद्धि योजना और SCSS स्कीम को छोड़ दें तो पीपीएफ बैंक और पोस्ट ऑफिस के बांकी सभी स्कीमों से सबसे अधिक ब्याज देने वाली योजना है।  

 

इस ब्लॉग पोस्ट में हम पीपीएफ की उन 10 मुख्य बिंदुओं की बात करेंगे जिसके कारण आज भी पीपीएफ निवेशकों की पहली पसंद बनी हुई है। 

1.पीपीएफ सेविंग स्कीम आपको इनकम टैक्स के सेक्शन 80c के तहत सालाना 1.5 लाख तक के निवेश पर टैक्स  छूट देता है। 

 

2.पीपीएफ खाता पर मिलने वाला ब्याज टैक्स फ्री होता है।  अगर आप F.D या R.D. में निवेश करते है तो उन पर मिलने वाला ब्याज एक लिमिट के बाद टैक्सेबल होता है। लेकिन पीपीएफ में ऐसा नहीं है।  

 

3.पीपीएफ के मैच्योरिटी पर मिलने वाला पूरा पैसा टैक्स फ्री होता है। आपको किसी प्रकार का कोई टैक्स सरकार को नहीं देना होता और यही सबसे बड़ी खासियत है पीपीएफ में निवेश की। 

 

4.एक व्यक्ति केवल एक पीपीएफ खाता ही अपने नाम पर खोल सकता है। पीपीएफ में जॉइंट अकाउंट होल्डर नहीं हो सकते।  जिस तरह हम बैंक में जॉइंट अकाउंट खुलवा लेते है , उस तरह पीपीएफ में हम जॉइंट खाता नहीं खुलवा सकते। 

 

5.अगर कोई अभिभावक अपने बच्चे के नाम से खाता खोलना चाहते है, लेकिन बच्चा नाबालिग है तो माता या पिता अपने नाबालिग बच्चे की और से पीपीएफ में खाता खोल सकते है।  लेकिन एक बात का ध्यान जरूर रखें।  अगर आपने अपने नाम से भी खाता खुलवा रखा है और नाबालिक बच्चे के नाम से भी खाता खुलवा रहे है तो दोनों खाते में आप सालाना 1.5 से ऊपर की रकम पीपीएफ खाते में जमा नहीं करवा सकते। 

 

6.यदि अभिभावक ने अपने नाबालिग बच्चे के नाम से खाता खुलवाया है, तो बच्चे के बालिक होने के बाद अथवा बच्चा अपनी 18 साल के उम्र के बाद , पीपीएफ खाते को खुद संचालित कर सकता है। लेकिन उससे पहले पोस्ट ऑफिस या बैंक (जहां से अपने खाता खुलवाया है) को लिखित पत्र द्वारा सूचित कर स्टेटस बदलना होता है। 

 

7.पीपीएफ खाते पर आपको लोन की सुविधा भी मिलती है। जिस वित्तीय वर्ष में खाता खुला उस वित्तीय वर्ष के एक साल बाद से 5 साल के बीच आप लोन की सुविधा का लाभ उठा सकते है (उदाहरण के लिए: 2019-2020 में खाता खोला, वित्तीय वर्ष के समापन के एक साल बाद 2021-2022 में लोन ले सकते है)। खाते पर पोस्ट ऑफिस या बैंक (जहाँ भी आपका पीपीएफ खाता है) आपको बाजार से कम दर पर लोन मुहैया कराती है। 

 

8.पीपीएफ खाते में कम से कम 500 रुपये हर फाइनेंशियल ईयर में जमा करना अनिवार्य होता है। ऐसा न करने पर पीपीएफ खाता इनएक्टिव हो जाता है और फिर खाता एक्टिव करवाने के लिए 50 रुपये फाइन के साथ पिछला बकाया और वर्तमान साल की इन्सटॉलमेंट जमा करनी होती है। 

 

9.पीपीएफ खाता के इनएक्टिव होने पर आपको लोन और पैसे निकासी की सुविधा नहीं मिल पाती। इसलिए ध्यान रखें कि हर साल नियमित रूप से पीपीएफ में कम से कम मिनिमम अमाउंट जमा करते रहे। 

 

10.पीपीएफ खाते पर ब्याज की दरें भारत सरकार द्वारा हर तीन महीने में घोषित की जाती है। मौजूदा समय में पीपीएफ खाते पर ब्याज दर 7.1 % है।

 

11.पीपीएफ की मैच्योरिटी पीरियड 15 साल की होती है। अगर 15 साल के बाद भी उसी खाते को जारी रखना चाहते हैं, तो 5 साल के ब्लॉक में आप इसे बढ़ा सकते है। 

 

12.पीपीएफ में आप निवेश के दोनों तरीके अपना सकते है, मतलब अगर आप चाहे तो सालाना एकमुश्त राशि पीपीएफ में जमा कर सकते है या फिर अपनी सुविधा अनुसार इन्सटॉलमेंट के जरिये निवेश कर सकते हैं। 

 

13.पीपीएफ में ब्याज की गणना हर महीने की 5 तारीख से महीने के अंतिम दिन के बीच की न्यूनतम राशि पर की जाती है।  इसलिए पीपीएफ खाता धारकों को हमेशा सलाह दी जाती है कि हमेशा निवेश 1 से 4 तारीख के बीच करें जिससे आपके द्वारा निवेश की सभी राशि पर ब्याज मिलें। 

 

14.पीपीएफ खाते पर चक्रवृद्धि ब्याज मिलता है और हर साल  वित्तीय वर्ष के अंत में यह ब्याज आपके पीपीएफ खाते में क्रेडिट होता है। 

15.पीपीएफ की मैच्योरिटी पीरियड 15 साल की होती है।  मतलब आप 15 साल से पहले खाता बंद नहीं करवा सकते। 

लेकिन कुछ विषम परिस्थिति में खाता खोलने के 5 साल बाद आप पीपीएफ खाते से पूरा पैसा निकाल सकते है और खाता बंद करवा सकते है।

नीचे दिए गए परिस्थिति में आप खाता बंद करवा सकते है

(1)खाताधारक, खाता धारक के पति / पत्नी या खाताधारक के बच्चे में से किसी को भी जानलेवा बीमारी होने पर 

(2)खाताधारक या उनके बच्चों की उच्च शिक्षा हेतु 

(3)खाताधारक के विदेश में बसने की स्थिति में 

Chandu Kumar: नमस्ते, आदाब, ससरियाकाल,दोस्तों ,मै Chandu Kumar (writer, founder of hindiyogi.in) आपका तहे दिल से apke apne blog “hindiyogi.in” पर स्वागत करता हूँ और hindiyogi.in पर आने के लिए आपको बहुत-बहुत धन्यवाद देता हूँ