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संघर्ष: Abraham Lincoln की यह कहानी आपको सोने नहीं देगी | Short Motivational Story In Hindi

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बेहतर से बेहतर की तलाश करों, मिल जाये नदी तो समंदर की तलाश करों

टूट जाता है शीशा पत्थर की चोट से, टूट जाये पत्थर ऐसा शीशा तलाश करों।

नमस्कार दोस्तों, स्वागत है आपका हिंदियोगी के ब्लॉग पोस्ट संघर्ष (Short Motivational Story In Hindi

) में.

जहाँ हम बात करेंगे उस शख्स के बारें में जिनका बचपन बहुत ही गरीबी में बीता, जिनकी जिंदगी बहुत ही संघर्षपूर्ण रही, जिंदगी ने हर कदम पर उन्हें आजमाने की कोशिश की लेकिन अपनी मेहनत, लगन और कभी हार ना मानने की सोच के कारण ना केवल वे एक सफल व्यक्ति बनने में कामयाब हुए बल्कि दुनिया के सबसे ताकवर देश अमेरिका के 16 वे राष्ट्रपति भी बने।  

 

जी हाँ, आपने सही समझा, मैं बात कर रहा हूँ दुनियां के सबसे लोकप्रिय नेता Abraham Lincoln की जिन्होंने अमेरिकी नागरिको के लिए बहुत से ऐसे काम किये जिन्हे करना अमेरिका के किसी भी नेता के लिए आसान काम नहीं था। 

 

आज इंसान इतना कमजोर हो चुका है कि एक हार को वे अपनी जिंदगी का हार समझ बैठते है और अंदर तक टूट जाते है, खुद को बिखरने से बचा नहीं पाते। 

 

दोस्तों इस ब्लॉग पोस्ट में जिस इंसान की कहानी सुनाने जा रहा हूँ, उस इंसान की असफलता, दुःख, दर्द, पीड़ा सुन कर आपको अपनी प्रॉब्लम बहुत छोटी लगने लगेगी।



इस कहानी को पढ़ने के बाद आप चुनौतियों से डरने की वजाय आप चुनौतियों से लड़ना चाहोगे, जिंदगी की हर कठिनाईयों से मुकाबला कर अपनी मंजिल की और बढ़ने को तैयार हो जाओगे। 


तो चलिए शुरू करते है : Short Motivational Story In Hindi: संघर्ष

यह कहानी है अमेरिकी इतिहास के सबसे महान राष्ट्रपति अब्राहम लिंकन की। यह कहानी शुरू होती है 12 फरवरी 1802 को जब इस महान इंसान का जन्म एक झोपड़ी में रहने वाले गरीब परिवार में हुआ और आगे चलकर यही बंदा अमेरिका का सबसे महान और सबसे लोकप्रिय राष्ट्रपति बना। 

 

अब्राहम लिंकन के लिए व्हाइट हाउस तक का सफर इतना मुश्किलों भरा था कि अगर इसकी जगह कोई और दूसरा व्यक्ति होता तो बदहवास, दुःख, पीड़ा और असफलता के कारण खुद को मार डालता। लेकिन इस व्यक्ति ने जैसे दुखो और असफलता के साथ दोस्ती ही कर ली थी जो इसका पीछा छोड़ने का नाम ही नहीं ले रही थी। 

अब्राहम लिंकन जब मात्र 2 साल के थे तब उनके परिवार को एक जमीनी विवाद की वजह से अपना घर छोड़कर दूसरी जगह शिफ्ट होना पड़ा। आप अंदाजा लगा सकते हो कि अगर एक गरीब परिवार को अपना घर छोड़ना पड़ेगा तो उस पर क्या बीतती है। 

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लेकिन बात यही ख़त्म नहीं होती है।  करीब 5 साल वहां पर रहने के बाद फिर से एक जमीनी विवाद के कारण उन्हें वो घर भी छोड़ना पड़ा। उस समय लिंकन की उम्र मात्र 7 साल थी। उस जगह को छोड़ने के बाद उनका परिवार एक नदी के किनारे रहने लगा। यहाँ पर अब्राहम लिंकन के पिता खेती भी करने लगे।

छोटी सी उम्र में लिंकन के सर से उनकी माँ का साया हट गया।

अब्राहम लिंकन जब 9 साल के थे तब उनकी मां का एक गंभीर बीमारी के कारण देहांत हो गया। प्रॉब्लम यही ख़त्म नहीं होती है।  मानो जिंदगी लिंकन से जैसे रूठ सी गयी थी और उन्हें कदम कदम पर आईना दिखा रही थी।

लिंकन को सामान ढोने का काम करना पड़ा।

अब्राहम लिंकन को किताबें पढ़ने का बहुत शौक था  और लिंकन पढ़ना चाहते थे लेकिन इनके पिता के बहुत ही क्रूर स्वभाव के थे और उनके इन क्रूर स्वाभाव की वजह से लिंकन सिर्फ कुछ दिन ही स्कूल जा पाए थे।  इसके पिता चाहते थे कि उनका यह बेटा उनके काम में हाथ बढ़ाएं। 

 

और इसलिए लिंकन को नाव चला कर लोगों का सामान एक किनारे से दूसरे किनारे पर ले जाने का काम करना पड़ा और बचे हुए टाइम में खेतो में भी काम करना पड़ता था। कई दिनों तक काम करने के बाद लिंकन को एक दुकान में नौकरी मिली और वहीं पर काम करते करते उन्होंने बिना किसी कॉलेज के खुद के दम पर लॉ की पढ़ाई की।  


पढाई करते हुए कुछ दिनों के बाद लिंकन को गांव में ही एक पोस्ट मास्टर की जॉब मिल गई। कई दिनों तक पोस्ट मास्टर की जॉब करने के बाद लिंकन ने वहां के लोगों की परेशानियों को देखते हुए राजनीति में आने का सोचा और विधायक का चुनाव लड़ा लेकिन वे यह चुनाब बुरी तरह हार गए।  साथ ही पोस्ट मास्टर की नौकरी भी छोड़नी पड़ी, जिसकी वजह से उन्हें काफी दिनों तक पैसो की कमी का सामना करना पड़ा।

जिस लड़की से लिंकन शादी करना चाहते थे उसकी भी मृत्यु हो गयी।

जब लिंकन 24 साल के हुए तो उन्हें एक लड़की से प्यार हो गया । वह उस लड़की से शादी करना चाहते थे लेकिन नियति को कुछ और ही मंजूर था ।

एक गंभीर बीमारी की वजह से उनकी उस गर्लफ्रेंड की भी डेथ हो गई है।

सब कुछ लिंकन के खिलाफ था, बचपन से अभी तक उनके साथ बहुत कुछ अच्छा नहीं था। और आगे भी उनकी परेशानी खत्म होने वाली नहीं थी। 

अपनी गर्लफ्रेंड की मृत्यु के बाद वे डिप्रेशन में चलें गये थे और अपने आप को चाकू से दूर रखने लगे थे कि कहीं डिप्रेशन की वजह से वह खुद को ही ना मार ले ।

उन्होंनेे किसी तरह खुद को संभाला और जिंदगी में आगे बढ़ने की एक और कोशिश में जुट गये ।

लिंकन ने अपने दोस्त की मदद से एक बार फिर विधायक का चुनाव लड़ा और इस बार वाह विजय हुए । इसके साथ जो उन्होंने लॉ की पढ़ाई की थी उसके बल पर वे गरीब लोगों का केस फ्री में लड़ने लगे।

उन्होंने करीब 20 साल तक वकालत की । लेकिन दोस्तों परेशानियां अभी भी खत्म नहीं हुई थी । जिंदगी एक के बाद एक थप्पड़ मारती जा रही थी।

लिंकन को अपने 3 बच्चों कि मौत का भी सामना करना पड़ा।

Abraham Lincoln

1842 में उन्होंने शादी कर ली। शादी के बाद लिंकन के 4 बेटे हुए लेकिन दुर्भग्य्वश् एक के बाद एक करके उनके तीन बेटों की मृत्यु हो गई। 3 साल की उम्र में उसके पहले बेटे की डेथ हो गई 11 साल की उम्र में दूसरे बेटे की डेथ हो गई और 18 साल की उम्र में चौथे बेटे की डेथ हो गई है सिर्फ एक बेटा जिंदा रहा।

कई बार चुनाव में बुरी तरह हार मिली।

जिंदगी का दस्तूर यही है, आपको कुछ देने से पहले, आपसे बहुत कुछ ले लेती है।

लिंकन हर तरह से हार रहे थे लेकिन जैसे हार मनना इनकी फितरत में ही न हो।

लिंकन ने वार्ड मेंबर का चुनाव लड़ा लेकिन हार गए, उसके बाद खुद का बिजनेस शुरू किया फेल हो गए, उसके बाद स्टेट रजिस्ट्रार का चुनाव लड़ा और हार गए, 36 साल के हुए तो नर्वस ब्रेकडाउन हो गया,

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7 साल बाद कांग्रेस के लिए चुनाव लड़ा लेकिन फिर से हार गए, 5 साल बाद फिर कोशिश की लेकिन फिर से हार गया, 55 साल की एज में एक बार फिर चुनाव लड़ा लेकिन फिर से हार गए, 1 साल बाद फिर से वॉइस प्रेसिडेंट का चुनाव लड़ा लेकिन फिर हार गए, 59 साल की एज में एक बार फिर चुनाव लड़ा लेकिन फिर से हार मिली।

आखिर काल मिल ही गयी जीत

Abraham Lincoln

यार इतनी बार हारने और फ़ैल होने के बाद अच्छे-अच्छे धुरंधर भी टूट कर बिखर जाते हैं लेकिन यह बंदा भी एक ही जिद पकड़ कर लड़ रहा था कि जब तक जिंदा हूं लड़ता रहूंगा और शायद यही कारण था कि इतनी बार हारने के बाद भी लिंकन एक बार फिर 1860 में राष्ट्रपति का चुनाव लड़ा

लेकिन इस बार हार भी लिंकन के हिम्मत के सामने हार गया और इस चुनाव में लिंकन जीत हासिल कर अमेरिका का सोलवा राष्ट्रपति बन गए। 

आखिर हार भी कब तक हराएगी ऐसे बंदे को जो हार मानने को तैयार ही नहीं।

राष्ट्रपति अब्राहम लिंकन की हत्या।

राष्ट्रपति बनने के बाद लिंकन ने कई बड़े काम किये, जिनमें सबसे बड़ी प्रॉब्लम दास प्रथा थी जिसे उन्होंने हमेशा के लिए खत्म कर दिया।


14 अप्रैल 1865 को राष्ट्रपति अब्राहम लिंकन अपनी पत्नी के साथ एक थिएटर में नाटक देखने गए हुए थे।  जहाँ एक मशहूर अभिनेता ने राष्ट्रपति अब्राहम लिंकन की गोली मार कर हत्या कर दी थी।

दोस्तों अब्राहम लिंकन की इस कहानी से हमें यही सीख मिलती है कि यदि इरादा मजबूत हो तो कोई भी इंसान अपनी लगन और मेहनत के बल पर कुछ भी हासिल कर सकता है यहाँ तक की वह अपने देश का राष्ट्रपति भी बन सकता है। 

 

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धन्यवाद।

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