भारतीय शेयर बाजार में अच्छे शेयर का चुनाव कैसे करे?|6 Things You Need to Know Before Selecting The Shares to Invest in Indian Stock Market

how to pick good shares

दोस्तों शेयर बाजार बहुत ही जोखिम भरा होता है। एक छोटी सी चूक आपका बहुत बड़ा नुकसान करवा सकती है इसलिए शेयर मार्किट में जब भी निवेश करे सावधान रहे और जाँच परख कर निवेश के लिए शेयर का चुनाव करे।  

शेयर मार्किट एक ऐसा प्लेटफॉर्म है जहाँ आप बहुत पैसा बना सकते हैं और पैसे की तंगी से बाहर आ कर एक अच्छा लाइफ स्टाइल जी सकते हैं। 

शेयर मार्किट के इतिहास में ऐसे बहुत से उदाहरण है जहाँ लोगो ने बहुत पैसे कमाएं है और अमीर लोगो की गिनती में शुमार हुए है।

विजय केडिया, राकेश झुनझुनवाला, रामदेव अग्रवाल कुछ ऐसे लोग है जिन्होंने मात्र कुछ हजार रूपये से शेयर बाजार में निवेश की शुरुआत की थी और आज ये लोग कई हजारों करोड़ की सम्पति के मालिक है। 

 

शेयर मार्किट में निवेश से रातों रात अमीर नहीं बना जा सकता।  एक अच्छा निवेशक बनने के लिए आपको सबसे पहले खुद को शिक्षित करना होगा, खुद के इमोशन पर नियंत्रण रखना होगा और संयम के साथ आगे निवेश को जारी रखना होगा।  

शेयर मार्किट में पैसे कमाने के दो तरीके होते है पहला ये की आप एक अच्छा स्टॉक ब्रोकर ढूँढ कर उसके माध्यम से शेयर बाजार में निवेश शुरू कर दें और दूसरा ये की आप खुद शेयर बाजार की जानकारी ले, उनके बारे में पढ़े, सीखें और निवेश करें । 

शेयर बाजार में एक अच्छा शेयर चुनना सबसे चुनौती भरा कार्य होता है लेकिन ये भी सच है कि एक अच्छा शेयर ही आपको मुनाफ़ा दे सकता है।  स्टॉक मार्किट में लिस्टेड लगभग 5000 शेयर्स है लेकिन सभी शेयर अच्छे हो ये मुमकिन नहीं है।

 

 रामदेव अग्रवाल जो की एक जाने माने निवेशक और बिजनेसमैन है एक इंटरव्यू में कहा था कि शेयर बाजार में 90 प्रतिशत शेयर किसी काम के नहीं है केवल 10 प्रतिशत शेयर ही अच्छे है। और यही वो शेयर्स है जो आपको मुनाफ़ा कमा कर देते है ।

तो सवाल ये है की इन 5000 शेयरों में से अच्छे शेयर का चुनाव कैसे करें ?

अगर आप शेयर बाजार में नए है या शेयर बाजार में निवेश करने की सोच रहे है तो मैं आपको बताऊंगा की शेयर बाजार में निवेश से पहले अच्छे शेयर का चुनाव कैसे करें।

नीचे 6 पॉइंट दिए गए है जो एक अच्छे शेयर की विशेषता को दर्शाते है । किसी भी शेयर में निवेश से पहले आपको उन शेयर्स में नीचे दिए गए मापदंडों  को एनालाइसिस करना  है।

आइये अच्छे शेयर्स की विशेषताओं को विस्तार से समझने की कोशिश करें।

1. कंपनी फ़ण्डामेंटली कितनी मजबूत है : Fundamentally Strong से मतलब है कि कंपनी की फ़ाइनेंशियल हेल्थ और मैनेजमेंट हेल्थ कितनी मजबूत है।

 अब यह कैसे पता करे की कंपनी Financially Strong  है , तो इसके लिए यह देखे कि कंपनी घाटे में तो नहीं है ।  कंपनी का रेवेन्यू और प्रॉफिट लगातार बढ़ रही है कि नहीं , कंपनी का प्रोडक्ट ऐसा तो नहीं कि भविष्य में उसकी डिमांड कम हो जाएगी ,

 

 यह भी देखे की कंपनी को अपना प्रोडक्ट बेचने के लिए ज्यादा मेहनत तो नहीं करनी पर रही है  क्योंकि कंपनी को प्रोडक्ट बेचने के लिए अधिक मेहनत करनी पड़ रही है तो मतलब उसके प्रोडक्ट में दम नहीं है , वो कंपनी प्रॉफिट नहीं कमा सकती । 

 

 कंपनी को और अच्छे से समझने के लिए यह देखे की बुरे वक्त में कंपनी का प्रदर्शन (Performance) कैसा था। उस बुरे वक्त में कंपनी ने अपने Competitors के मुकाबले अच्छा प्रदर्शन दिखाया या ख़राब क्योकिं कंपनी की असली पहचान इसी बुरे वक्त में होती है।

 इसके अलावा शेयर में निवेश से पहले  कंपनी के मैनेजमेंट के बारे में भी रिसर्च करें। क्योंकि कंपनी फ़ण्डामेंटली मजबूत है और मैनेजमेंट  कमजोर है तो भी कंपनी प्रॉफिट नहीं कमा पाएगी।  

 

 कंपनी का मैनेजमेंट एक कार के ड्राइवर की तरह होता है ।  जिस प्रकार  कार  का सारा कंट्रोल ड्राइवर के हाथ में  होता है उसी प्रकार कंपनी को चलाने का पूरा कंट्रोल उस कंपनी के मैनेजमेंट के हाथ में होता है।

 कार कितनी भी महंगी और अच्छी हो लेकिन ड्राइवर नौसिखिया है तो कार का भविष्य कैसा होगा आप अंदाजा लगा सकते है , ठीक इसी प्रकार कंपनी कितनी भी बड़ी और प्रॉफिटेबल हो लेकिन मैनेजमेंट का फोकस कस्टमर और निवेशक के हित के बजाय खुद के हित पर हो तो कंपनी नुकसान में जा सकती है।

 

2. कंपनी का प्रोडक्ट कैसा है: – जिस कंपनी के प्रोडक्ट में दम है उस कंपनी का भविष्य उज्वल है। शेयर में  निवेश से पहले  कंपनी के प्रोडक्ट के बारें में जानने की कोशिश करे कि कंपनी किस प्रकार के प्रोडक्ट बनाती है और उस प्रोडक्ट की क्या विशेषता है।  

क्या उस कंपनी के प्रोडक्ट हाथों हाथ बिक जाते है।  क्या उस प्रोडक्ट की मांग भविष्य में भी इसी प्रकार बढ़ती रहेगी, कल को उस प्रोडक्ट के मूल्य में वृद्धि हो जाती है तो भी उस प्रोडक्ट की मांग में कमी तो नहीं आएगी।  

 

उदाहरण के लिए HUL  (hindustan Uniliver Ltd)  जो की FMCG प्रोडक्ट बनाती है जैसे सेम्पू , तेल, साबुन,इत्यादि और प्रोडक्ट हाथों हाथ बिक भी जाते  है।  मौसम कैसा भी हो ,महँगाई कितनी भी हो लेकिन उसकी मांग में कमी नहीं आती। 

 

3.  रेवेन्यू और प्रॉफिट ग्रोथ का विश्लेषण :-  किसी भी कंपनी की ग्रोथ उसके रेवेन्यू और प्रॉफिट पर डिपेंड करती है।  जिस कंपनी की रेवेन्यू (sale) और प्रॉफिट लगातार साल दर साल बढ़ती है उस कंपनी की ग्रोथ भी साल दर साल बढ़ेगी , और इन कंपनियों के शेयर में भी लगातार बढ़ोतरी होती है।  इस प्रकार के शेयर लॉन्ग टर्म में आपको बहुत मुनाफ़ा दे सकती है।  

 

4. Dividend Payout हिस्ट्री कैसी है  :- फ़ण्डामेंटली स्ट्रांग कंपनी की एक पहचान यह  भी है कि कंपनी का डिविडेंड पे आउट हिस्ट्री कैसी है।  

अगर कंपनी अपने निवेशकों में डिविडेंड बांटती है तो इस बात से यह अंदाजा लगाया जा सकता है कि कंपनी लगातार प्रॉफिट में है और कंपनी के पास कैश की भी कमी नहीं रहती अतः  कंपनी कैश रिच होने के कारण भविष्य में बुरे दौर से गुजरने की क्षमता रखती है।  

इस प्रकार की कंपनी को हम कह सकते है की कंपनी टिकाऊ (Sustainable) है और इस कंपनी पर विश्वास किया जा सकता है।  

 

5. कंपनी की मैनेजमेंट हेल्थ कैसी है:–  एक अच्छी कंपनी की पहचान उसके मैनेजमेंट की गुणवत्ता से होती है और  एक अच्छे मैनेजमेंट की पहचान यह है कि वह कंपनी के कस्टमर और निवेशक के हित को लेकर कितना सतर्क है। वह प्रोडक्ट कि गुणवत्ता और कंपनी की ग्रोथ को सुधारने को लेकर कितना सक्रीय है ।  

 

कंपनी प्रॉफिटेबल नहीं भी है लेकिन  मैनेजमेंट में काबिलियत है तो कंपनी को प्रॉफिट में ला सकती है लेकिन  यदि कंपनी प्रॉफिटेबल है, उसके प्रोडक्ट भी अच्छे, डिस्ट्रीब्यूटर नेटवर्क टीम भी बेहतरीन मगर  मैनेजमेंट में कंपनी को चलाने की क्षमता या इंटरेस्ट नहीं है तो कंपनी ज्यादा दिन तक नहीं टिक पाएगी।   

इसलिए इस प्रकार की कंपनी में कभी निवेश न करे जिन कंपनी के प्रोमोटर्स का उदेश्य सिर्फ सैलरी लेना हो। 

 

यह भी देखे की कंपनी के प्रमोटर्स या मैनेजमेंट टीम के लोगो में आपसी मतभेद तो नहीं है या मैनेजमेंट में किसी व्यक्ति पर कोई गंभीर आरोप तो नहीं , या कंपनी पर किसी प्रकार का कोई कोर्ट केस तो नहीं चल रहा है। 

अगर ऐसा है तो इन कंपनी से दूर रहे क्योकिं इस प्रकार कि कंपनी कोर्ट के चक्कर में ही डूब जाती है और इसके साथ साथ आपके पैसे के भी डूबने की सम्भावना अधिक रहती है .   

 

6. कर्ज मुक्त (Debt free or Low Debt)  कंपनी का चयन:- जिस कंपनी पर किसी प्रकार का उधार ( शार्ट टर्म/ लॉन्ग टर्म ) न हो उसे Zero Debt या Debt Free (कर्ज मुक्त) कंपनी कहा जाता है। 

जो कंपनी कर्ज मुक्त होती है उस कंपनी में  ग्रोथ के चांस अधिक होती है  , क्योकिं कंपनी पर किसी प्रकार का कर्ज न होने के कारण कंपनी द्वारा अर्जित प्रॉफिट को दुबारा उसी कंपनी के ग्रोथ या एक्सपैंशन में लगाया जाता है जिससे कंपनी और बड़ी होती जाती है और इस प्रकार से कंपनी का रेवेन्यू और प्रॉफिट साइज भी बढ़ता रहता है।  

 

इतिहास में ऐसी  बहुत सी कंपनियां हुई है जो एक समय में वो अपने फील्ड में लीडर हुआ करती थी लेकिन आगे चल कर कंपनी पर अधिक कर्ज होने के कारण उस कंपनी की ग्रोथ रुक गयी और कंपनी दिवालिया होने की कगार पर पहुंच गयी।

उदहारण के लिए R.com को ले सकते हो।  

 

यह एक टेलीकॉम सेक्टर की कंपनी है।  और एक समय में यह अपनी इंडस्ट्री में लीडर हुआ करती थी और 2008 में इसका शेयर प्राइस 800 के लेवल तक जा चुकी थी, लेकिन अधिक कर्ज होने की वजह से उसकी ग्रोथ रुक गयी और आज वह दिवालिया होने की कगार पर है और आज R.com का शेयर प्राइस 1.5 के लेवल तक आ चुकी है.

 

इसलिए कंपनी में निवेश से पहले यह जरूर चेक करें की कंपनी पर अधिक कर्ज तो नहीं है और अगर कंपनी कर्ज मुक्त है तो और भी अच्छी बात है .

दोस्तों ये जरूरी नहीं कि ऊपर दिए गए सभी क्राइटेरिया एक ही शेयर में मिल जाए , लेकिन शेयर का चुनाव करते समय कोशिश करें कि ऊपर दिए गए क्राइटेरिया  में से ज्यादा से ज्यादा क्राइटेरिया मैच हो। 

 

दोस्तों इस ब्लॉग पोस्ट में हमने बात की कि एक अच्छे शेयर का चुनाव कैसे करे ? इसी प्रकार हिंदी में पर्सनल फाइनेंस और  शेयर बाजार से जुड़े महत्वपूर्ण  जानकारी के लिए बने रहे हमारे ब्लॉग हिंदियोगी के साथ।   

 अगर इस ब्लॉग पोस्ट को लेकर आपके मन में किसी प्रकार का कोई प्रश्न या सुझाव हो तो हमें कमेंट में जरूर लिखे. 

 

Chandu Kumar: नमस्ते, आदाब, ससरियाकाल,दोस्तों ,मै Chandu Kumar (writer, founder of hindiyogi.in) आपका तहे दिल से apke apne blog “hindiyogi.in” पर स्वागत करता हूँ और hindiyogi.in पर आने के लिए आपको बहुत-बहुत धन्यवाद देता हूँ