दोस्तों क्या आप जानते है कि विश्व में कौन सा देश सबसे ताकतवर देश है, किस देश की कंपनियां दुनिया की सबसे बड़ी और सबसे फेमस कंपनियां है , कौन से देश ने सबसे ज्यादा नावेल प्राइस जीते है , कौन से देश ने सबसे ज्यादा ओलिंपिक मैडल जीते है, किस देश की सेना सबसे ताकतवर सेना है, किस देश की इकोनॉमी देश की सबसे बड़ी इकोनॉमी है, सबसे ज्यादा परमाणु शक्ति किस देश के पास है , और किस देश की करेंसी सबसे ज्यादा दकतवर है। दोस्तों इन सभी प्रश्नों का जवाब है अमेरिका।
जी हाँ ! अमेरिका आज सुपरपावर देश है। विश्व के हर छोटे से बड़े मसलों पर इसका हस्तक्षेप रहता है। अमेरिका में होने वाली हर घटना का असर विश्व के अन्य देशों पर भी पड़ता है।
अमेरिका का नाम सुनते ही एक विकसित और शक्तिशाली देश की कल्पना मन मे उभर जाती है। विश्व में कोई भी देश अमेरिका से दुश्मनी मोल नहीं लेना चाहता। अमेरिका आज लगभग हर क्षेत्र में बांकी देशों के मुकाबले सबसे आगे है, परन्तु प्रश्न ये है की ऐसा क्यों है?
क्या अमेरिका हमेशा से ही इतना शक्तिशाली देश था या फिर अमेरिका भी बाकि देशो कि तरह कभी गरीब और गुलाम था ?
नमस्कार दोस्तों हिंदियोगी में आपका स्वागत है. हिंदियोगी के इस ब्लॉग पोस्ट में मैं बात करुँगी “आखिर कैसे बना अमेरिका सुपरपावर” How America Became Most Powerful Country In The World
अमेरिका का जन्म कैसे हुआ?
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सन् 1492 मे क्रिस्टोफर कोलंबस (Christopher Columbus) जो कि एक इटेलियन खोजकर्ता और नाविक थे, भारत की खोज में निकला था। वह यूरोप के पश्चिमी तट से निकल कर एशिया के पूर्वी तट पर पंहुचना चाहता था। उसे नही पता था की यूरोप और एशिया के बीच एक दूसरा स्थलीय भाग भी है।
जब कोलम्बस इस बीच के स्थलीय भाग पर पहुँचा तो उसे यही लगा की उसने भारत को खोज लिया है लेकिन उसने पाया कि वहाँ रहने वाले लोगों का रंग भारतीयों जैसा नही है इसलिए उसने इन निवासियों को रेड इंडियन कहा। सिर्फ इतना ही नहीं कोलम्बस अपनी मृत्यु तक यही सोचता रहा की उसने भारत की खोज की है।
1503 मे एक अन्य समुद्री नाविक अमेरिगो वेसपुची अमेरिका पंहुचा उसने सम्पूर्ण यूरोप को बताया कि ये भारत नही है बल्कि कोई अन्य द्वीप है। लोगो ने उस नाविक के सम्मान मे उसके नाम पर अमेरिका का नाम रख दिया और इस तरह हुई अमेरिका के नाम की उत्पत्ति।
अमेरिका पर ब्रिटेन का कब्ज़ा
अब एटलांटिक महासागर के पार बसे इस अनजान जगह (अमेरिका) को हर कोई जान गया था। फिर क्या था उस समय के ताकतवर यूरोपीयन देश जैसे स्पेन, फ्रांस, ब्रिटेन यहां अपना वर्चस्व स्थापित करने में लग गए।
साल बीतते गए और अमेरिका में यूरोपीयन का आगमन होता रहा और आखिरकार 16 वीं सताब्दी में ब्रिटेन ने इस देश पर अपनी सत्ता कायम कर ली।
इस दौरान बहुत से यूरोपीयन लोग अमेरिका में आ कर बस गए और अंग्रेजों ने अमेरिका के मूल निवासियों पर कई प्रकार के प्रतिबन्ध लगाना शुरू कर दिया था।
4 जुलाई 1776 को अमेरिका को आजादी मिली
अंग्रेजो द्वारा अमेरिका के लोगो पर लगाए गए प्रतिबंधों के कारण अमेरिका में इसका विद्रोह जोर शोर से शुरू हो गया। और लगभग 150 सालों से चल रहे अंग्रेजी शासन से अमेरिका को 4 जुलाई 1776 को आजादी मिल गयी।
अमेरिका अब एक आजाद देश बन चुका था और जॉर्ज वाशिंगटन को अमेरिका के पहले राष्ट्रपति चुने गए थे.
अमेरिका अब भी एक साधारण देश ही था , गरीबी और लाचारी अभी भी अमेरिका में मौजूद थी। लेकिन आजादी के साथ ही अमेरिका में एक नए दौर की शुरुआत हो चुकी थी।
जॉर्ज वाशिंगटन इस देश के पहले राष्ट्रपति बने और इसके साथ ही उन्होंने इस देश में लोकतंत्र (Democracy ) की शुरुआत की।
अब अमेरिका खुद को विस्तार करने में लग गया।
प्रथम विश्व युद्ध के समय अमेरिका

अमेरिका भले ही एक लोकतांत्रिक देश बन चुका था लेकिन देश को आगे ले जाने के लिए अमेरिका ने साम, दाम, दंड और भेद की नीति अपनाई।
अमेरिका ने कुछ देश पर दवाब डाल कर तो कुछ को चालाकी से अपने साथ जोड़ना शुरू कर दिया।
1867 में अमेरिका ने पूरे अलास्का को रूस से मात्र 7.2 मिलियन डॉलर में खरीद लिया था। साथ ही अमेरिका ने टेक्नोलॉजी के विकास पर ध्यान देना शुरू कर दिया था।
अब समय आ चुका था प्रथम विश्व युद्ध का जो की 28 Jul 1914 – 11 Nov 1918 तक चली थी और यही समय था जब अमेरिका की किस्मत पलटने वाली थी।
प्रथम विश्व युद्ध के समय तक यूरोप सबसे बड़ी महाशक्ति हुआ करता था। लेकिन 1914 से 1918 तक चले प्रथम विश्व युद्ध में यूरोप के अधिकतर बड़े देश पूरी तरह से तबाह हो चुके थे।
ब्रिटेन, फ्रांस, जर्मनी, स्पेन, इटली आदि ऐसे देश थे जिन्होंने प्रथम विश्व युद्ध में भाग लिया था। युद्ध के बाद इन देशों में बहुत बड़े स्तर पर तबाही देखी गयी। इन देशो के सभी बड़े कारखाने, मिलें , फैक्ट्रियां बंद हो गयी और दिवालियापन घोषित हो गयी। और इसी बात का फायदा उठाया अमेरिका ने ।
द्वितीय विश्व युद्ध में अमेरिका का योगदान

अमेरिका यूँही सुपरपावर नहीं बन गया। आजादी के बाद से ही वहां के नेताओं ने उन बातों पर फोकस किया जिससे उनका देश बांकी देशो के मुकाबले और अधिक शक्तिशाली और मजबूत बन सके।
जहां एक और युरोपियन देश और उसके विरोधी देश प्रथम विश्व युद्ध में आपसी लड़ाई के कारण बर्बाद हो रहे थे वहीँ अमेरिका अपने देश में इंडस्ट्रियल रेवोल्यूशन की तैयारी कर रहा था।
सन 1939 में द्वितीय विश्व युद्ध शुरू हो चुका था। अमेरिका ने यहाँ भी मौके का फायदा अच्छे से उठाया। जहाँ एक ओर दुनिया द्वितीय विश्व युद्ध में फंसी हुई थी वही दूसरी तरफ अमेरिका इन देशो को हथियार सप्लाई करने में लगा था जिससे अमेरिका को बहुत लाभ हुआ और अमेरिका पहले से भी ज्यादा आर्थिक रूप से मजबूत हो गया।
अमेरिकी डॉलर इंटरनेशनल करेंसी कैसे बनी
द्वितीय विश्व युद्ध के बाद अधिकतर देशो की हालत पहले से भी ज्यादा ख़राब हो चुकी थी। वहां की अर्थव्यवस्था तहस नहस हो चुकी थी।
ऐसा नहीं था की अमेरिका ने युद्ध में भाग नहीं लिया था। अमेरिका भी द्वितीय विश्व युद्ध में शामिल था लेकिन अमेरिका को इन युद्ध से कोई ज्यादा प्रभाव नहीं पड़ा।
अमेरिका ही एक मात्र ऐसा देश था जिसकी इकॉनमी दो-दो विश्व युद्ध के बाद भी स्टेबल और मजबूत थी। इसी बात का फायदा उठाते हुए अमेरिका ने युरोपियन देशो, सऊदी अरब और अन्य खाड़ी देशो को ब्यापार में अमेरिकी डॉलर का ही उपयोग करने के लिए राजी कर लिया।
और इस प्रकार विश्व में अधिकतर ट्रेड अमेरिकी डॉलर में होने शुरू हो गए जिसके कारण अमेरिकी डॉलर एक इंटरनेशनल करेंसी बन गयी।
और क्या कारण था जिसने अमेरिका को सुपरपावर देश बनाने में सहयोग किया
अमेरिका शुरू से ही दूरदृष्टि सोच रखने वाला देश था। यहाँ जितने भी राष्ट्रपति बने सभी ने अमेरिका को सुपरपावर बनाने के मकसद से काम किया।
अमेरिका ने आजाद होते ही अपने देश में लोगतंत्र की घोषणा की जिसके कारण बहुत सारे देश अमेरिका के साथ मिल गए और विश्व के अलग अलग देशो के बुद्धिमान व्यक्ति अमेरिका में आ कर काम करने लगे।
अमेरिका ने हमेशा से ही टैलेंट को बढ़ावा दिया है। सबसे प्रसिद्ध वैज्ञानिक अल्बर्ट आइंस्टीन (Albert Einstein ) एक जर्मनी नागरिक थे, लेकिन उन्हें सबसे ज्यादा प्रसिद्धि अमेरिका में ही मिली और उन्होंने अमेरिका में ही रह कर अपना काम किया ।
आज के समय की बात करें तो विश्व की बड़ी बड़ी कंपनी अमेरिका की ही है लेकिन उन कंपनियों को इस लेवल पर लाने वाले लोग अलग अलग देशो के निवासी है।
उदाहरण के लिए Elon Musk एक साउथ अफ्रीकन है लेकिन अमेरिका में अपना कारोबार करते है और विश्व के सबसे अमीर व्यक्ति में सुमार है।
सुंदर पिचाई भारत मूल के निवासी है लेकिन अमेरिका में रह कर काम करते है और गूगल के सीईओ है।
अमेरिका ने शुरू से ही अपनी मिलिट्री को मजबूत बनाने की और पूरा ध्यान दिया है। वर्तमान समय की बात करें तो अमेरिका ही ऐसा देश है जिसके पास विश्व में सबसे ज्यादा अत्याधुनिक हथियार है उसके बाद चीन, रूस इजराइल, और भारत की बारी आती है।
अमेरिका टेक्नोलॉजी के मामले में भी विश्व में सबसे आगे है। आज सबसे अत्याधुनिक टेक्नोलॉजी अमेरिका के पास है। आईटी से सम्बन्ध रखने वाले हर भारतीय का सपना होता है की वो अमेरिका में जा कर काम करें।
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