शेयर मार्किट में पैसे तभी बनते है जब किसी शेयर को आप कम दाम में खरीद कर उसे अधिक दाम में बेचते है । लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि शेयर बाजार या किसी शेयर के मूल्य के गिरने और बढ़ने के पीछे क्या कारण हो सकते है ।
अगर आपको नहीं पता कि किसी शेयर के मूल्य के बढ़ने और गिरने के क्या कारण हो सकते है तो चिंता करने कि बात नहीं है। आज हम कुछ ऐसे मुख्य घटक के बारे में जानने की कोशिश करेंगे जिसके कारण शेयर मार्किट में गिरावट या बढ़त देखी जाती है।
बाजार में किसी भी वस्तु की कीमत उसके डिमांड एंड सप्लाई पर निर्भर करती है,जब बाजार में किसी वस्तु कि सप्लाई उसकी मांग से अधिक होती है तो उस वस्तु की कीमत में गिरावट आ जाती है, और उसी के विपरीत जब बाजार में किसी वस्तु की सप्लाई उसकी मांग से कम होती है तो उस वस्तु की कीमत में वृद्धि हो जाती है।
आइये इसे हम एक उदाहरण से समझने की कोशिश करते है।
भारत में प्याज की कीमत औसतन Rs.20/kg – Rs.30/kg रहता है, लेकिन एक समय ऐसा भी आता है जब प्याज की कीमत Rs.80 Kg – Rs.150/kg तक बढ़ जाती है ।
आखिर क्या कारण है कि प्याज की कीमत अचानक आसमान छूने लगती है।
ऐसा इसलिए होता है क्योंकि मंडियों में सामान्य दिन के मुकाबले उन दिनों प्याज की सप्लाई कम हो जाती है और डिमांड ज्यादा रहती है।
प्याज की सप्लाई कम होने के पीछे कई करण हो सकते है जैसे प्याज की फसल का ख़राब होना, डिमांड के मुकाबले प्याज की कम पैदावार होना इत्यादि
ठीक इसी प्रकार जब किसी कंपनी के शेयर के ख़रीदार विक्रेता से अधिक होते है तो उस शेयर का मूल्य बढ़ने लगता है और जब ख़रीदार विक्रेता से कम होते है तो शेयर का मूल्य गिरने लगता है।
नीचे कुछ मुख्य कारण दिए गए है जिसके कारण शेयर बाजार में गिरावट या बढ़त दर्ज होती है
1 ) मैद्रिक नीति : RBI द्वारा समय-समय पर ब्याज दरों में परिवर्तन किया जाता है। जिसकी वजह से शेयर बाजार और मुख्य रूप से बैंकिंग सेक्टर वाले शेयरों में उतार-चढ़ाव देखे जाते है।
अगर मैद्रिक नीति बैंक कंपनियों के हित में है तो बैंकिंग शेयर के दाम बढ़ते है और यदि कंपनियों के खिलाफ है तो शेयर गिरते है।
2 ) राजनितिक मुद्दे :- शेयर मार्किट पर राजनितिक माहौल का भी बहुत प्रभाव रहता है , सरकार बदलने से वारिज्य नीतियों में बदलाव की आशंका बनी रहती है जिसके कारण शेयर के दामों में बदलाव देखा जाता है।
यदि मौजूदा सरकार की स्थिरता बनी रहती है तो उनके द्वारा बनाये गए नीतियों के जारी रहने का भरोसा रहता है जिसके कारण इंडस्ट्री में positivity बनी रहती है और निवेशक का भरोसा बाजार पर बना रहता है।
3 ) अंतरराष्ट्रीय मुद्दे:– बाजार का रुख इस बात पर भी निर्भर करता है वैश्विक स्तर पर माहौल कैसा बना हुआ है। सकारात्मक संकेत के कारण शेयर बाजार में उछाल देखी जाती है और यदि वैश्विक स्तर पर किसी प्रकार की तना-तनी जैसी स्तिथि बनी है तो बाजार में गिरावट की सम्भावना बढ़ जाती है ,
अमेरिका-चाईना ट्रेड वॉर, कोरोना वायरस, अमेरिका-नार्थ कोरिआ के बीच तनाव कुछ ऐसे उदाहरण है जिसे हमने हाल फ़िलहाल में महसूस किया है और इन कारणों से शेयर बाजार में काफी हद तक दवाब देखने को मिला है।
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4 ) सालाना बजट की पेशकश:– बजट के पैशकश के समय भी बाजार में काफी उतार-चढ़ाव देखा जा सकता है। भारतीय बाजार में निवेश करने वाले सभी निवेशकों की नजर सालाना बजट पर रहती है। क्योकिं भविष्य में भारतीय अर्थव्यवस्था की चाल कैसी रहेगी इसी बजट से निर्धारित होती है और यह सीधे तौर पर शेयर बाजार को प्रभावित करते है।
5 ) कंपनी की फाइनेंसियल रिजल्ट:– मान लीजिये आपको खुद के लिए एक बाइक खरीदनी है और आप शोरूम में जाते है और वहां आपको हर कंपनी की अलग अलग मॉडल की बाइक दिखाई जाती है, तो आप किस तरह की बाइक लेना पसंद करेंगे ?
संभवतः बाइक लेने से पहले आप माइलेज, बॉडी टाइप ,स्पीड ,दाम आदि चीजें कम्पेयर करेंगे।
ठीक उसी प्रकार से एक बुद्धिमान इन्वेस्टर किसी भी शेयर में निवेश से पहले उस कंपनी के सभी फंडामेंटल क्राइटेरिया को डिटेल में समझने को कोशिश करेगा और फिर उसमे निवेश करेगा।
और किसी भी कंपनी के फंडामेंटल हेल्थ को समझने के लिए उस कंपनी के Annual Financial रिपोर्ट की आवश्यकता पड़ती है, और इसलिए अगर कंपनी के फ़ाइनेंशियल रिपोर्ट अगर पॉजिटिव है तो कंपनी के शेयर बढ़ जाते है और अगर निगेटिव है तो शेयर में गिरावट देखने को मिलती है ।
6 ) घोटाला :-इतिहास गवाह है जब-जब स्टॉक मार्किट में लिस्टेड किसी कंपनी में घोटाले हुए है स्टॉक मार्किट में तेजी से गिरावटें आई है। शेयर मार्किट और घोटालों का पुराना रिश्ता रहा है, कुछ घोटाले तो ऐसे भी है जहाँ निवेशकों के जिंदगी भर की कमाई रातों-रात डूब गयी और वे रोड पर आ गए।
हर्षद मेहता घोटाला शेयर मार्किट के इतिहास में सबसे चर्चित और सबसे बड़ा घोटाला था जिसमे 4000 करोड़ के घोटाले सामने आये थे।
7 ) कंपनी द्वारा डिविडेंड की घोषणा :-डिविडेंट के अनाउंसमेंट के बाद उस कंपनी के शेयर मे उछाल देखी जा सकती है जिस कंपनी ने डिविडेंट देने का प्रस्ताव रखा है।
ऐसा इसलिए होता है क्योंकि डिविडेंड डिक्लेयर होने के बाद निवेशक डिविडेंड के लालच में कंपनी के शेयर खरीदने लगते है जिससे उस स्टॉक की मांग बढ़ जाती है।
डिविडेंड एक प्रकार का कंपनी द्वारा अर्जित प्रॉफिट है जिसे कंपनी अपने निवेशकों को कंपनी में उनके हिस्सेदारी के अनुसार समय समय पर देती रहती है।
8) बड़ी संख्या में एक साथ शेयर की बिकवाली या खरीदारी:– बड़ी संख्या में शेयर की बिकवाली या खरीदारी भी शेयर बाजार में गिरावट या बढ़त की एक वजह है।
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9) शेयर Buy Back:– share buy back कंपनी की एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमे कंपनी अपने शेयरों को बाजार से वापस खरीदती है। और जब कंपनी इस प्रकार का कोई फैसला लेती है तो उस कंपनी के शेयर के दाम बढ़ने लगते है।
जब कंपनी अपने शेयर मार्केट से buy back करती है तो शेयर के current price से अधिक मूल्य पर buy back करती है.
कंपनी द्वारा अपने शेयर को वापस खरीदने से निवेशकों के बीच एक पॉजिटिव सेंटीमेंट पैदा होती की कंपनी के प्रोमोटर को विश्वास है की कंपनी भविष्य में अच्छा बिज़नेस करेगी और इसी सेंटिवीमेंट की वजह से कंपनी के शेयर प्राइस में बढ़ोतरी होती है ।
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